नई दिल्ली । "द हिंदू" के पूर्व संपादक वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा है कि है पत्रकारों को एक्टिविस्ट के तौर पर काम नहीं करना चाहिए। इंडियन हैबिटेट सेंटर में नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (एनएफआई) द्वारा आयोजित चाइल्ड सर्वाइवल मीडिया पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक्टिविस्ट अपनी एक धारण को लेकर प्रतिबद्ध होते हैं, जबकि पत्रकार को हमेशा संतुलित रह कर अपना काम करना चाहिए। ताकि पत्रकार की रिपोर्टिंग पर सवाल न उठे ।
उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया का स्वरूप बहुत विशाल है। बड़ी संख्या में अखबार, के साथ-साथ चौबीस घंटे के सैकड़ों चैनल्स हैं, पर इनमे से 90 फीसदी चैनल्स घाटे में है। जिन समूहो के बाद एंटरटेनमेंट चैनल है, वे ही पैसे बना पाते हैं। उन्होंने कहा कि अब मीडिया विज्ञापन का बिजनेस बन गई है।
श्री सिद्धार्थ ने कहा कि आज विज्ञापनों के आधिपत्य के चलते रियल ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए लिखी गई खबरों को भी सही जगह नहीं मिल पाती है। उन्होंने कहा कि सही पत्रकारिता नहीं होती है। सामाजिक सरोकार छूटते जा रहे है। हालांकि उन्होने माना कि अच्छी खबर अब रुकती नहीं है। ऑनलाइन मीडियाके आने से अच्छी खबरें बहुत तेजी से वायरल हो रही है।