नयी दिल्ली/ देश में एक राष्ट्रीय सूचना और संचार नीति होनी चाहिए, ताकि प्रभावशाली ढंग से विकास में सहायक संचार व्यवस्था कायम हो सकें। सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नई दिल्ली में राज्यों के सूचना मंत्रियों के सम्मलेन-सिमकौन में बोलते हुए यह विचार व्यक्त किये।
सिमकोन के इस 28वे सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश को विकास समर्थित मजबूत संचार प्रणाली की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में मीडिया के बदलते स्वरुप और नयी चुनौतियों तथा जनता की जरूरतों को देखते हुए सरकार राज्यों के साथ विचार विमर्श करके नयी राष्ट्रीय संचार एवं सूचना नीति तैयार करेगी। श्री नायडू ने राज्यों के सभी मंत्रियों और अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे एक राष्ट्रीय सूचना और संचार नीति की आवश्यकता और उसके विभिन्न आयामों पर विचार करें। श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि देश का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र और राज्यों के बीच एक समन्वित और समावेशी दृष्टिकोण अपनाये जाने तथा परस्पर सहयोग की आवश्यकता है। सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि केन्द्र और राज्यों को विकास के उद्देश्य से मिलकर काम करना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि विकास कार्यों में केन्द्र और राज्य सरकारें बराबर की भागीदार हैं और यही सहयोगपूर्ण संघवाद का सार भी है। श्री नायडू ने कहा कि सरकार टीवी सैटों के डिजिटीकरण, सोशल मीडिया के प्रभावशाली उपयोग, आकाशवाणी, दूरदर्शन और प्रकाशन विभाग को प्रोत्साहन दे रही है।
उन्होंने कहा कि नयी सूचना नीति का मुख्य मकसद लोगों विशेषकर ग्रामीण जनता को सूचना एवं संचार की नयी तकनीकों से परिचित कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के विकास के एजेंडे को निर्धारित करने में जनता की भागीदारी को बढ़ाने के लिए भी सूचना और संचार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “इतना ही नहीं लोगों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना के आदान प्रदान के लिए भी जरूरी है।” उन्होंने कहा कि नयी सूचना नीति से नीति निर्धारकों और लाभार्थियों को भी मदद मिलेगी और जनता की समस्यायों को सुलझाने में भी सहायता मिलेगी एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया आसान होगी।
इस अवसर पर सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री कर्नल राज्यवर्द्धन राठौड़ ने कहा कि परस्पर सहयोग अब सुशासन का मुख्य आधार है। उन्होंने कहा कि सूचनाएं इकट्ठी करने और इनका प्रसार करने की प्रक्रिया में बहुत सुधार करने की आवश्यकता है और सुधार एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया भी है। परस्पर सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री राठौड़ ने कहा कि राज्यों को केन्द्र के साथ मिलजुलकर और एक भावना से काम करना चाहिए।