दैनिक हिन्दुस्तान का फर्जी मुंगेर संस्करण के मुद्रण, प्रकाशन और वितरण का मामला, अदालत ने दैनिक हिन्दुस्तान के मालिक और अन्य के विरूद्ध धारा 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया, लोक प्राधिकार ने प्राथमिकी दर्ज करने से किया इन्कार
मुंगेर। बिना निबंधन के फर्जी तरीके से दैनिक हिन्दुस्तान अखबार का मुंगेर संस्करण 20 अप्रैल 2012 से अबतक लगातार छापने और अवैध तरीके से विज्ञापन वसूलने के मामले में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी जैनेन्द्र कुमार की अदालत ने 20 अप्रैल 2017 को दैनिक हिन्दुस्तान अखबार के मालिक, संपादक, प्रकाशक ,मुद्रक और मंुगेर कार्यालय के प्रभारी के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420।471।476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट , 1867 की धाराएं 12। 13। 14। 15। 16ए0 और 16 बी0 के तहत पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करने का ऐतिहासिक आदेश पारित किया ।
न्यायालय ने अपने 20 अप्रैल 2017 के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि ‘‘ दैनिक हिन्दुस्तान अखबार को भागलपुर संस्करण छापने हेतु निबंधन संख्या प्राप्त है, परन्तु प्रबंधन बिना निबंधन संख्या के फर्जी तरीके से हिन्दुस्तान अखबार का मुंगेर संस्करण का मुद्रण, प्रकाशन और वितरण मुंगेर में करता आ रहा है । ‘
प्रिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ने हिन्दुस्तानके अवैध मुंगेर संस्करण छापने से संबंधित मुंगेर के जिला पदाधिकारी का पत्र , जिसका पत्रांक -1448। विधि, 27 सितम्बर 2012 है जो श्री ललित किशोर , अपर महाधिवक्ता-01, पटना उच्च न्यायालय को संबोधित है, की छायाप्रति संलग्न की है । परिवादी का कहना है कि जिला पदाधिकारी ।मुंगेर । ने उक्त पत्र में लिखा है कि ‘ एक ही निबंधन और एक ही निबंधन संख्या पर भिन्न-भिन्न समाचार भिन्न-भिन्न जिलों में मुद्रित, प्रकाशित और वितरित हो रहे हैं । चूंकि समाचार भिन्न हैं, इसलिए सभी संस्करण अलग-अलग अखबार माने जाऐंगें और उन अखबारों को अलग-अलग निबंधन संख्या होनी चाहिए ,लेकिन यहां सभी का निबंधन संख्या एक ही है ।
न्यायालय ने आदेश में आगे लिखा है कि ‘‘ परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद का कहना है कि चूंकि जिला पदाधिकारी ।मुंगेर। ने दैनिक हिन्दुस्तान के मुंगेर संस्करण को विधिमान्य नहीं माना है,इस आलोक में वे चाहते हैं कि लोक प्राधिकार दैनिक हिन्दुस्तान के मालिक, संपादक, प्रकाशक,मुद्रक और मुंगेर कार्यालय के प्रमुख के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420। 471। 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 12। 13। 14। 15। 16 ए और 16 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज करें ।
परन्तु, लोक प्राधिकार सह जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री के0के0 उपाध्याय ने अदालत कार्यवाही में अनुपस्थित रहे और अपने प्रतिनिधि को भी नहीं भेजा ।
काररवाई करने से किया इन्कार लोक प्राधिकार ने: लोक प्राधिकार सह जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री के0के0 उपाध्याय ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम को मानने से लिखित रूप में इन्कार कर दिया है यह कहकर कि ‘ मैं लोक प्राधिकार नहीं हूं । मैंने अपने वरीय पदाधिकारी से मार्ग दर्शन मांगा है जो अप्राप्त है ।‘
जबकि न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि अधिनियम की कार्यसूची के क्रमांक 07 पर जिला स्तर पर प्रेस से संबंधित शिकायत, विज्ञापन, प्रकाशन के मामले में लोक प्राधिकारी जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी को बनाया गया है ।
परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ने न्यायालय में यह वाद 3 फरवरी 2017 को लाया था और आरोप लगाया था कि अवैध ढंग से सरकारी विज्ञापन उगाही के लिए दैनिक हिन्दुस्तान फर्जी तरीके से मुंगेर संस्करण आज भी छापता आ रहा है ।
मुख्यमंत्री को लिखा पत्रः परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ने मुख्यमंत्री ।बिहार। को पत्र लिखकर सूचित किया कि मुंगेर के जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री के0के0 उपाध्याय ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम को मानने से लिखित रूप में इन्कार कर दिया है और जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के न्यायालय के आदेश को भी लिखित रूप में मानने से इन्कार कर दिया है,इसलिए बिहार सरकार सरकार के कानून का अनादर करने वाले लोक प्राधिकार को सरकारी सेवा से अविलंब बर्खास्त करने की काररवाई करें जिससे अन्य लोक प्राधिकार बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम का अनादर करने का दुस्साहस न कर सकें ।
मुंगेर से श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट