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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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दलित दस्तक बेव मीडिया अस्तित्व में आया

स्थापना दिवस पर पत्रिका के लिए संवाददाता के रूप में उत्कृष्ठ कार्य व उसके प्रचार-प्रसार करने के लिए सम्मानित किये गए पटना के संवाददाता सुशील कुमार

नई दिल्ली/ दलित दस्तक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ने अपनी पांचवी स्थापना दिवस पर दलित दस्तक के बेब मीडिया की शुरुआत की। नई दिल्ली के मावंलकर हॉल में मनाया में 24 जून को स्थापना दिवस मनाया गया। इसमें पत्रिका से जुड़े देश भर के पत्रकारों, प्रसशंको एवं संवाददाताओं ने भाग लिया। दलित दस्तक बेब मीडिया का उद्घाटन जेएनयू के समाजशास्त्री प्रो विवेक कुमार, भारतीय राजस्व सेवा के पदाधिकारी आनन्द श्रीकृष्ण, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश एवं प्रसिद्ध बौद्ध चिंतक शांति स्वरूप् बौद्ध ने सयुक्त रूप से दीप प्रजज्वलित कर किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आनंदश्री कृष्ण ने पत्रिका के सफर पर प्रकाश डाला साथ ही उन्होनें  कहा कि पत्रिका का मुख्य उद्वेश्य बहुजन समाज मे जागृति फैलाने एवं उनके सवालों को राष्टीय पटल पर लाना है। बौद्ध चिंतक शांति स्वरूप बौद्ध ने अपने ओजपूर्ण भाषण ने सभागर मे उपस्थिति श्रोताओ को जोश एवं उत्साह भर दिया। वही वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने मीडिया के क्षेत्र में दलितों के शून्य भागदारी पर चिंता जताया और मनुवादी मिडिया के पक्षपात पूर्ण व्यवहार पर नराजगी जाहिर किया। प्रसिद्व समाजशास्त्री एवं जेएनयू के प्रोफेसर विवेक कुमार ने पत्रिका के बारे मे उठ रहे सभी सवालो को जवाब तर्कपूर्ण ढंग दिया। उन्हाने बताया कि पत्रिका प्रकाशित करने का मुख्य उद्वेश्य बहुजन समाज के संस्कृति को स्थापित करना इसके लिए अपने सकारात्मक उर्जा उपयोग किसी भी सम्याता को आलोचना करने बचना है, ताकि उस सकारात्मक उर्जा काउपयोंग अपने सस्कृति को स्थापित कर सके।

इस अवसर पर पत्रिका से जुड़े संवाददाताओं, लेखकों, सहयोगियों को सम्मानित किया गया।  पटना के संवाददाता सुशील कुमार को पत्रिका के लिए संवाददाता के रूप् में उत्कृष्ठ कार्य करने एवं उसके प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रो विवेक कुमार, भारतीय राजस्व सेवा के पदाधिकारी, वरिष्ट पत्रकार उर्मिलश एवं बौद्ध चिंतक शांति स्वरूप् बौद्ध ने सयुक्त रूप् से सम्मानित किया। इस अवसर पर पत्रिका से सम्पादक अशोक दास ने पत्रिका के स्थापना से लेकर अभी तक आये मुसीबतों के बारे मे विस्तृत रूप से चर्चा की।

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना