प्रख्यात हिंदी दलित लेखक-आलोचक डॉ धर्मवीर के निधन पर पटना में एक शोक-सभा
पटना / पटना के दारोगा राय पथ स्थित अम्बेडकर भवन में प्रख्यात हिंदी दलित लेखक-आलोचक डॉ धर्मवीर के निधन पर आज 12 मार्च 2017 (रविवार) को एक शोक-सभा आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता अम्बेडकवादी एवं बौद्ध विद्वान बुद्धशरण हंस ने की। श्री हंस ने कहा कि डा. धर्मवीर ने हिंदी साहित्य में कबीर को हिन्दू आलोचकों के पंजे से निकाल कर उनके चिंतन की क्रांतिकारिता एवं सार्थकता को सही परिप्रेक्ष्य में स्थापित किया।
युवा कवि अरविन्द पासवान ने डॉ धर्मवीर ने निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक अखबार में उनपर छपे चिंतक वीरेंद्र यादव के आलेख का पाठ करते हुए उन्हें हिंदी का एक योद्धा लेखक बताया।
कवि-चिंतक मुसाफ़िर बैठा ने मंच संचालन करते हुए कहा कि डा धर्मवीर हिंदी के बौद्धिक समाज को असहमति की चुनौती देने वाले दलित समाज में जन्मे दुर्धर्ष कबीरी बौद्धिक थे। कबीर पर उनका विपुल एवं क्रांतिकारी लेखन अनन्य एवं अकेला है।
बामसेफ के मूलनिवासी इकाई से जुड़े उदयन राय ने कहा कि दलित चिंतक लेखक डॉ धर्मवीर भले हमारे बीच न रहें, लेकिन उनकी कृतियाँ हमारा पथ आलोकित करती रहेंगी।
इस श्रद्धाजंलि सभा में सोशल एक्टिविस्ट शम्भु सुमन, मूलनिवासी संघ से जुड़े मनीष रंजन, सामाजिक कार्यकर्ता सचिन, धर्मेंद्र ने भी अपने विचार रखे।
आयोजन में कवि राकेश प्रियदर्शी, आलोक राज, डा आनंद दीप, डा दीपक कुमार, ई. सुजीत कुमार, सीपीआई माले के संतोष एवं दरभंगा आये एक टोला सेवक श्री दास आदि भी उपस्थित रहे।