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जीवन के अर्न्तमन से लिखी जाती है कहानी: शशांक

एम.सी.यू. में लेखन कला के विविध आयामों पर आयोजित कार्यशाला का दूसरा दिन

भोपाल । लेखक अपनी सोच, दृष्टिकोण, सम्रता एवं भाव में डूबकर अर्न्तमन से जो शैली विकसित कर लेखन करता है वह जीवन बोध एवं जीवन दृष्टि का परिचायक होता है। सृजनात्मक लेखन में मौलिकता एवं रोचकता होना बेहद जरूरी है। सच्चे अर्थों में कहानी का चयन जीवन से होता है और जीवन के भाव, भाषा, लय और तेवर उसकी अभिव्यक्ति बनते हैं।

उक्त विचार प्रख्यात कथाकार एवं लेखन श्री शशांक ने आज यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा लेखन कला के विविध आयामों पर आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन सृजनात्मक लेखन पर वक्तव्य देते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कथाकार के अन्दर जो सृजनात्मकता है वह कहानी एवं नाटक में रूपक का आकार लेती है और सब कुछ कहानी पर आधारित होता है। कथाकार कल्पनाओं की उड़ान भरता है। अन्दर की चीजों को देखता है और उसे लिपिबद्ध करता है वह कहानी का रूप होता है। जिस तरह जीवन जीने की एक शैली होती है उसी तरह हर लेखन की एक गुप्त राजनीति होती  है। उन्होंने वर्तमान समय में सृजनात्मकता में चली आ रही परम्पराओं में हस्ताक्षेप देने पर बल दिया। सत्र की अध्यक्षता डॉ. पी. शशिकला ने की।

‘रंग लेखन एवं रंग समीक्षा’ पर व्याख्यान देते हुए प्रख्यात रंगकर्मी एवं शिक्षाविद् डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति नाटक में जीता है। हर जगह अलग-अलग भूमिकाओं में होता है। उसका जीवन अभिनय की कलामूर्ति होता है। नाटक एक सम्पूर्ण कला है जिसमें दसों विधाएं विद्यमान है। नाटक के द्वारा जहां एक ओर कला की प्रस्तुति होती है वहीं दूसरी ओर नृत्य, अभिनय, संगीत, ड्राइंग, पेन्टिंग, आर्ट, कॉस्टयूम और मेकअप द्वारा सम्प्रेषण किया जाता है। नाटक कलाओं का व्यापक स्वरूप है और वह सम्प्रेषण की बहुआयामी कला है। नाटक के द्वारा हम संवाद करते हैं, जनसंचार करते हैं और फीडबैक भी लेते हैं। यह विधा जीवन जीने की एक बहुआयामी जनप्रिय विधा है। उन्होंने नाटक में अभिनय कला को जनसंचार की महत्वपूर्ण विधा बताया। सत्र की अध्यक्षता डॉ. मोनिका वर्मा ने की।

रेडियो एफ.एम. के लेखन पर व्यक्तव्य देते हुए बिग एफ.एम. आर.जे. अनादि ने कहा कि रेडियो के लिए स्क्रिप्ट राइटिंग लिखना बहुत कठिन काम है। इसमें हमें ऑडियंस का ध्यान रखना होता है तथा रेडियो में कोई दिखाई नहीं देता। अदृष्य श्रोताओं के लिए लिखना और उसे प्रस्तुत करना एक चुनौती होती है जिसे हमें रोचक भी बनाते हुए भवनात्मक दृष्टि से जुड़ाव होना चाहिए। सत्र की अध्यक्षता डॉ. राखी तिवारी ने की।

कार्यशाला के आठवें सत्र में टीवी समाचार प्रबंधन पर इंडिया न्यूज की ब्यूरो प्रमुख सुश्री दीप्ती चौरसिया ने व्याख्यान दिया। सत्र की अध्यक्षता डॉ. जया सुरजानी ने की और सामायिक विषयों पर लेखन के संबंध में श्री गिरीष उपाध्याय, सम्पादक सुबह सबेरे ने प्रकाश डाला। अध्यक्षता डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने की।

कार्यशाला का समापन कल

लेखन कला के विविध आयामों पर केन्द्रित तीन दिवसीय इस कार्यशाला के संयोजक एवं विभागाध्यक्ष श्री संजय द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यशाला का समापन 17 जनवरी, 2016 को होगा। समापन दिवस के दसवें सत्र में एंकरिंग पर भास्कर डिजिटल की सुश्री संयुक्ता बैनर्जी व्याख्यान देंगी। सत्र की अध्यक्षता डॉ. अविनाश वाजपेयी करेंगे। ग्यारहवां सत्र वेब मीडिया के लिए लेखन पर केन्द्रित होगा, इसके मुख्य वक्ता भास्कर डॉट कॉम के श्री अनुज खरे होंगे। अध्यक्षता डॉ. रामदीन त्यागी करेगें। कार्यशाला में टवीटर और फेसबुक पर लेखन पर चर्चा बारहवें सत्र में होगी, इसके मुख्य वक्ता यूनीसेफ के श्री अनिल गुलाटी होंगे। अध्यक्षता श्री आशीष जोशी करेंगे। तेरहवें सत्र में फिल्म स्क्रिप्ट लेखन पर युवा फिल्म कलाकार श्री बालेन्दु सिंह का व्याख्यान होगा। अध्यक्षता श्री सुरेन्द्र पॉल करेंगे। समापन समारोह अपरान्ह 4.00 बजे से प्रारंभ होगा, जिसका विषय पाठकों का दृष्टिकोण (मनोविज्ञान) होगा। समारोह के मुख्य वक्ता प्रख्यात संचार विशेषज्ञ एवं कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला होंगे। अध्यक्षता कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा करेंगे।

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सम्पादक

डॉ. लीना