ऋषिकेष के पांच दिवसीय पत्रकार समागम में चौबीस प्रदेशों के 948 पत्रकारों के अलावा श्रीलंका तथा दक्षेस राष्ट्रों के 21 प्रतिनिधियों ने भाग लिया
डा. देवाशीष बोस/ उत्तराखण्ड में ऋषिकेष के सुरम्य गंगा तट पर पत्रकारों ने शपथ लिया कि देश में गंगा तथा अन्य नदियों को साफ और प्रवाह निर्मल तथा अविरल रखेंगे। ताकि अगली पीढ़ी को संतुलित पर्यावरण और साफ, निर्मल नदियों का प्रवाह मिल सके।
उत्तराखण्ड में ऋषिकेष के पांच दिवसीय पत्रकार समागम में चौबीस प्रदेशों के 948 पत्रकारों के अलावा श्रीलंका तथा दक्षेस राष्ट्रों के 21 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ऋषिकेश में आयोजित इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की राष्ट्रीय परिषद के 66 वें अधिवेशन के अवसर पर आयोजित पत्रकार समागम में पत्रकारों ने गंगा तथा अन्य नदियों को साफ, प्रवाह निर्मल तथा अविरल रखेंगे। गंगातट के परमार्थ निकेतन में आयोजित इस एशियाई परिसंवाद की अध्यक्षता वरिष्ट पत्रकार साथी के. विक्रम राव ने की।
अपने उद्घाटन भाषण में उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्री विजय बहुगुणा ने नदी सफाई पर मीडिया के फिक्र की श्लाघा की। उत्तराखण्ड राज्य के पत्रकारों के लिए आवास, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि की मांग को आई.एफ.डब्लू.जे. के अध्यक्ष के द्वारा उठाने पर मुख्य मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पत्रकारों की भांति इस पहाड़ी राज्य के पत्रकारों को भी सारी सुविधायें दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि महिला पत्रकारों के लिए हास्टल का निर्माण किया जायेगा। इस मौके पर बहुगुणाजी के साथ तीन काबीना मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य तथा मंत्री प्रसाद नैथानी भी उपस्थित थे।
पत्रकार समागम को सम्बोधित करते हुए गंगा एक्शन प्लान के स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आशीर्वचन दिया तथा पत्रकारों को अगली पीढ़ी के लिए काम करने को कहा, ताकि गंगा और अन्य नदियां निर्मल तथा अविरल प्रवाहित हो सके। जिससे पर्यावरण संरक्षित रह सके। अमरीकी ऊर्जा केन्द्र के डा. दर्शन गोस्वामी ने सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग का आग्रह किया। हंगरी में भारत के राजदूत मलय मिश्र ने कहा सत्तर राष्ट्रों की उनकी यात्रा पर उन्होंने आमजन का गंगा के प्रति आदर और सरोकार देखा। आल-इण्डिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के प्रधान सचिव शिवगोपाल मिश्र का भी उद्बोधन हुआ।
बिहार के वरीय पत्रकार डा. देवाशीष बोस ने कहा कि बिहार में गंगा जहां प्रदूषण की शिकार है, वहीं अपने प्रवाह रेखा से दूर हट रही है, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी गंगा बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के मैदानों की विशाल नदी है। उन्होंने कहा कि गंगा भारत तथा बांग्लादेश में मिलकर 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह अपने बेसिन में बसे विराट जनसमुदाय के जीवन का आधार बनती है। गंगा की रक्षा के लिए जन जागरण की आवश्यकता है। इसके लिए मीडिया को जनजागृति के अलावा सरकार पर दबाव बनाने का काम करना पड़ेगा।
भारत की नदियों पर विशिष्ट अध्ययन पत्र भी पेश किये गये, जिनमें साबरमती पर डा. मीना पाण्ड्या, गोदावरी पर तेलंगाना के पी. जंगारेड्डी, झेलम और रावी पर जम्मू के डा. उदय चन्द, गोदावरी पर तमिलनाडु तथा कर्नाटक के क्रमश: वी. पाण्ड्यन और जानकी रामन, इन्दिरा नहर पर जयपुर के सत्य पारिख, सरस्वती पर डा. के. सुधा राव, गंगा पर डा. योगेश मिश्र (उत्तर प्रदेष), मनोज दास (उड़ीसा) और डा. देबाशीष बोस (बिहार) तथा गोमती पर दीपक मिश्र (लखनऊ) के उल्लेखनीय था। एक खास आकर्षण था कोलम्बो से आई हिन्दी अध्यापिका सुभाषिनी रत्ननायके का गंगा पर पत्र। इसके आयोजक थे मुम्बई के मनोज सिंह। आई.एफ.डब्लू.जे. के प्रधान सचिव परमानन्द पाण्डेय, राष्ट्रीय सचिव हेमन्त तिवारी, उत्तराखण्ड यूनियन के शंकरदत्त शर्मा तथा मनोज रावत ने सबका स्वागत किया।
श्रीलंका प्रेस एसोशियन का निमंत्रण स्वीकार करते हुए आई.एफ.डब्लू.जे. एक विशाल प्रतिनिधि मंडल कोलम्बो भेजने का निर्णय लिया है। रावण द्वारा कैद देवी सीता का स्थल अशोक वाटिका की यात्रा इसमें शामिल है। नवम्बर 18-24 तक आइ.एफ.डब्लू.जे. का 115-सदस्यीय दल भूटान की अध्ययन यात्रा पर जा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश के 62 हैं, जिसका नेतृत्व हसीब सिद्दीकी करेंगे। जबकि बिहार से भी पत्रकारों का एक दल भूटान की अध्ययन यात्रा करेगा। पत्रकार समागम में बिहार के 56 लोगों ने भाग लिया। जिसमें अध्यक्ष एसएन श्याम, सचिव अभिजीत पाण्डेय तथा संगठन सचिव सुधीर मधुकर आदि शामिल थे। यह कार्यक्रम 18 अक्तूवर से प्रारंभ होकर 23 अक्तूवर 2013 को संपन्न हुआ।