सर सैयद अहमद खां की 200वीं जयंती समारोह, पटना में राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित
साकिब ज़िया/पटना। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की 200वीं जयंती दुनिया भर में अलग-अलग ढंग से मनाई जा रही है। इसी कड़ी में एएमयू ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन, बिहार चैप्टर और एनसीपीयूएल, नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से राजधानी पटना के बिहार उर्दू अकादमी के सभागार में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार का विषय "सर सैयद की इस्लाहात की रौशनी में मुसलमानों के हाज़रा मसाएल और उर्दू के मुस्तकबिल का जायज़ा" था। सेमिनार में पेयाम ए अलीग २०१७ स्मारिका का भी लोकार्पण किया गया. सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार के पीआरओ मुदस्सिर आलम द्वारा सम्पादित यह स्मारिका हर साल एएमयू ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन, बिहार चैप्टर रिलीज करता है.
सेमिनार में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस (हिंदी रेडियो) के सीनियर प्रोड्यूसर इकबाल अहमद ने कहा कि जो कौम अपनी तारीख याद नहीं रखती है वह ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह सकती है। उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद को साल के 365 दिन याद करें। उन्होंने कहा कि सर सैयद के बताए हुए रास्ते पर निजी जिंदगी में और सामाजिक ज़िंदगी में चलना ही उनसे सच्ची मोहब्बत को साबित कर सकता है।कार्यक्रम में एनडीटीवी इंडिया की वरिष्ठ एंकर और एसोसिएट एडीटर नग़मा सहर ने कहा कि अगर सर सैयद अहमद की रहबरी नहीं होती तो क़ौम तबाह हो जाती। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में तालीम की कमी एक गंभीर समस्या है। शिक्षा के कारण लोग अच्छे और ऊंचे पदों पर बैठ सकते हैं और समाज के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बना सकते हैं एक नया बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि कि उर्दू बहुत ही खूबसूरत और कामयाब ज़बान है।
नग़मा ने कहा कि आज ज़रुरत इस बात की है कि इस ज़बान को ऐसी मज़बूती दी जाए कि लोग इसकी ओर खींचे चले आए। वहीं समारोह को संबोधित करते हुए बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कंनवेनर और वरिष्ठ वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि हम आज भी उर्दू की ताक़त से देश के हालात बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद खां को किसी ज़बान या खास संप्रदाय से जोड़कर देखना नाइंसाफी होगी क्योंकि राजा राममोहन राय, लाला लाजपत राय तथा भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसी हस्तियों के साथ सर सैयद के बड़े ही निजी और मधुर संबंध थे। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भी सर सैयद के बताए रास्ते बंद नहीं हुए हैं और जो उनके काम अधूरे रह गए हैं उसे हम सभी को मिल जुलकर पूरा करना चाहिए।
सेमिनार में एएमयू के उर्दू विभाग के प्रोफेसर डॉ मोहम्मद कमरुल होदा फरीदी ने भी सर सैयद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर रौशनी डाला। उन्होंने कहा कि उन मुश्किल दिनों में बिहार ने सर सैयद के ख्वाबों को हकीकत में बदलने में काफ़ी मदद की थी। प्रोफेसर फरीदी ने कहा कि सर सैयद एक इंसान का नहीं बल्कि एक मिशन का नाम है । आज एमयू से शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहां के छात्र दुनिया में हर जगह मौजूद हैं। उन्होंने सभी पूर्वर्ती छात्रों से अपील करते हुए कहा कि सर सैयद के मिशन को और आगे तक पहुंचाएं ताकि ज़मीन पर मौजूद हर इंसान तालीम हासिल कर सकें। कार्यक्रम को देश के जाने माने धार्मिक गुरु प्रोफेसर सैयद शाह शमीमउद्दीन अहमद मुनम्मी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इल्म हमारा हथियार है इल्म को दीन और दुनिया के हिसाब से बांटना गलत है। सर सैयद ने नॉलेज की तरफ लोगों को आमंत्रित किया लेकिन यह भी कहा कि अपने धर्म के भी जानकार बनो। सर सैयद ने जोड़ने का काम किया था तोड़ने का नहीं। बिहार उर्दू अकादमी के सचिव मुश्ताक अहमद नूरी ने कार्यक्रम में विषय पर कहा कि सर सैयद ने इस देश को शिक्षा की एक नई रौशनी दिखाई थी और आज सालों बाद भी उसका महत्व बरकरार है। कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरआन के पाठ से किया गया। सेमिनार में ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन, बिहार चैप्टर के महासचिव डॉ अरशद हक भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में शहर के बुद्धिजीवी,कई गणमान्य लोग और बड़ी संख्या में एएमयू के पूर्ववर्ती छात्र भी शामिल हुए।