नयी दिल्ली/ इंडियन विमेंस प्रेस कोर ने जम्मू कश्मीर में मीडिया की अभिव्यक्ति और संचार व्यवस्था पर रोक लगाये जाने को भारतीय प्रेस परिषद द्वारा सही ठहराए जाने की तीखी आलोचना की है । 26 अगस्त को एक बयान जारी कर प्रेस कोर ने परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चंद्रमौली प्रसाद के उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दायर किये जाने से पहले किसी सदस्य से बात न किये जाने की भी निंदा की है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की याचिका को देखते हुए अपनी याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि उनकी बात को भी सुनी जाए।
गौरतलब है कि सुश्री भसीन ने अपनी याचिका में पत्रकारों के कामकाज के लिए मोबाइल इन्टरनेट पर लगी पाबंदी को हटाने तथा अभिव्यक्ति की आवाज़ पर रोक न लगाने की मांग की है।
प्रेस कोर ने कहा कि प्रेस परिषद का गठन प्रेस की आज़ादी के लिए हुआ है न कि मीडिया पर लगी रोक को सही ठहराने के लिए हुआ है। न्यायमूर्ति प्रसाद की याचिका अपनी जिम्मेदारियों से मुंह चुराना है और परिषद के उद्देश्यों के विरुद्ध है।
प्रेस कोर ने कहा है कि कश्मीर में मीडिया के लिए काम करना मुश्किल हो गया है और उन्हें साथ प्रशासन भी ठीक से पेश नही आ रहा है।