Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

अभिव्यक्ति का सहज माध्यम है कार्टून

प्रेस दिवस की पूर्व संध्या पर ‘‘ विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्टूनों एवं व्यंग्य चित्रों का प्रभाव व महत्व ’’ विषय पर संगोष्ठी 

आनंद/ मुंगेर। सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पवन ने कहा है कि कार्टून आम लोगों की भावना को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है. इसे जहां पढ़े-लिखे लोग समझ सकते हैं तो इसकी पहुंच ग्रामीण तबके के  लोग तक पहुंच चुकी है. यह बात उन्होंने प्रमंडलीय सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय मुंगेर प्रमंडल के  तत्वावधान में राष्ट्रीय प्रेस दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित संगोष्ठी में कही. संगोष्ठी का विषय था ‘‘ विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्टूनों एवं व्यंग्य चित्रों का प्रभाव व महत्व ’’.

उन्होंने कहा कि कार्टून सिर्फ अखबारों तक सीमित नहीं है बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया तक इसकी पहुंच है. उन्होंने अपने कार्टूनों के जरिये यह प्रयास किया है कि राजनीतिक विसंगतियों के साथ-साथ अन्य सामाजिक मुद्दे को भी इसका विषय वस्तु बनाया जाय और लोगों से लोक भाषा में भी संवाद किया जाय.

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने कहा कि कार्टून की विधा काफी पुरानी है और इटली में इसका उद्भव हुआ. एक लंबे सफर को तय करता हुआ कार्टून आज आम लोगों तक पहुंच बनाने में सटीक साबित हो रहा है. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार हमले हो रहे हैं. वैसी स्थिति में भी कार्टून बेवाकी से अपने संदेश को पहुंचाने में सक्षम साबित हो रहा है.

प्रमंडलीय आयुक्त लियान कुंगा ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्धघाटन करते हुए कहा कि पत्रकारिता में यथार्थ परखता अनिवार्य है और इससे सही तस्वीर उभर कर सामने आती है. उन्होंने हाल-फिलहाल प्रकाशित कई समाचारों का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे प्रशासन की आंख खुली और उन्होंने कई मुद्दों पर कार्रवाई भी की है. उन्होंने पत्रकारों से आह्वान किया कि स्वस्थ एवं सकारात्मक आलोचना से समाज को दिशा प्रदान करें. वहीं सदर अनुमंडल पदाधिकारी कुंदन कुमार ने कहा कि पत्रकारों  को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी कीमत पर सामाजिक सद्भाव नहीं टूटने पाये. समारोह की अध्यक्षता डॉ ओमप्रकाश प्रियंवद ने की. उन्होंने कार्टून एवं व्यंग्य की विधाओं के तकनीकी पहलुओं को रेखांकित किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन ने कहा कि कार्टून में हजार शब्दों के बराबर की बात कहने की क्षमता है. जो बातें समाचार के माध्यम से नहीं कही जा सकती है वे बातें कार्टून के माध्यम से रखी जा सकती है. आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए सूचना एवं जनसंपर्क के उपनिदेशक कमलाकांत उपाध्याय ने कहा कि भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना 1966 को हुई थी और 16 नवंबर 1966 को प्रेस परिषद ने कार्य करना शुरू किया. इस दिन को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है. समारोह को प्रो.प्रभात कुमार, पत्रकार काशी प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, प्रशांत मिश्रा, डॉ मृदुला झा, चंद्रशेखरम, अंजना घोष, सज्ज्न गर्ग, चैंबर आफ कॉमर्स के अध्यक्ष राजेश जैन, शिक्षक नेता नवल किशोर प्रसाद सिंह एवं रामनरेश पांडेय, प्रो. शब्बीर हसन, अशोक आलोक, यदुनंदन झा, शहंशाह आलम, अनिरुद्ध सिन्हा, महफूज आलम, कौशल किशोर पाठक, मधुसूदन आत्मीय, गुरुदयाल त्रिविक्रम, मनीष कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर कमलाकांत उपाध्याय ने कार्टूनिस्ट पवन, वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार एवं समारोह के अध्यक्ष ओमप्रकाश प्रियंवद को अंग-वस्त्र देकर सम्मानित किया. समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व सदस्य अरुण कुमार को श्रद्धांजलि दी गयी. गौरतलब है कि पिछले दिनों अरुण कुमार का निधन उनके पैतृक गांव बेगूसराय के मदारपुर में हो गया था. समारोह में उनके संघर्षशील व्यक्तित्व का स्मरण किया गया और दो  मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना