कैलाश सत्यार्थी ने महिला पुलिस कॉन्स्टेबल सुनीता और ई-रिक्शा चालक ब्रह्मदत्त को सम्मानित किया
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों के जीवन को बदलने वाले ई-रिक्शा चालक ब्रह्मदत्त राजपूत और महिला पुलिस कॉन्स्टेबल सुनीता को उनके साहस और बहादुरी के लिए सम्मानित किया है। ई-रिक्शा चालक ब्रह्मदत्त ने 2 लड़कियों को ट्रैफिकर के चंगुल से मुक्त कराया है। वहीं पश्चिमी दिल्ली में पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात सुनीता ने पिछले 8 महीनों में 73 गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाने का बेहतरीन काम किया है।
इस अवसर पर ब्रह्मदत्त और सुनीता को सम्मानित करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘‘ब्रम्हदत्त और सुनीता ने जो किया है वह अनुकरणीय है। उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और ‘सही’ के लिए खड़े हुए। उन्होंने बच्चों को ट्रैफिकर के चंगुल से मुक्त किया। वे रोल मॉडल हैं। पीडि़तों की रक्षा कर उनका कद ऊंचा हो गया है। मेरे लिए आप असली हीरो हैं जो देशभर में हजारों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।’’
ब्रह्मदत्त राजपूत के साहस की कहानी प्रेरणादायक है। ब्रह्मदत्त 5 मार्च को दिल्ली के विवेक विहार में बालाजी मंदिर के पास यात्रियों का इंतजार कर रहे थे। इतने ही में एक युवक 7 साल और 4 साल की दो बच्चियों को लेकर उनके ई-रिक्शा पर सवार हुआ और उसे चिंतामणि चौक पर छोड़ने को कहा। ब्रह्मदत्त को कुछ गड़बड़ी की आशंका हुई। वह आदमी कचरे से भरे दो पॉलीबैग ले जा रहा था। दोनों बच्चियों ने उस आदमी से खाना उपलब्ध कराने के बाद उन्हें अपने घर छोड़ने के लिए कहा। तब ब्रह्मदत्त ने बच्चियों से पूछा कि क्या वे उस आदमी को जानती हैं? दोनों ने नहीं में जवाब दिया।
सजग और सतर्क ब्रह्मदत्त ने एक ट्रैफिक पुलिस के पास अपना रिक्शा मोड़ा और वस्तुस्थिति की उन्हें पूरी जानकारी दी। उसके बाद पुलिस ने युवक को हिरासत में ले लिया। उसने लड़कियों का अपहरण भीख मंगवाने के उद्देश्य से किया था। उल्लेखनीय है कि दोनों बच्चियों को उनके मजदूर माता-पिता से मिला दिया गया है।
ब्रम्हदत्त ने कहा कि वह श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा सम्मानित किए जाने के क्षण को संजो कर रखेंगे। ब्रम्हदत्त ने कहा, ‘‘मैं बच्चों की मदद करना जारी रखूंगा और जरूरतमंद बच्चों की मदद करने के लिए अन्य ई-रिक्शा चालकों को भी एकजुट और जागरूक करूंगा।’’
पश्चिमी दिल्ली में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात सुनीता ने अपने संकल्प, धैर्य, साहस और खोजी दस्ता की शैली में काम करने के अंदाज के कारण उन 73 गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाने का उल्लेखनीय काम किया है, जिनके मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। पिछले महीने सुनीता ने विकासपुरी के एक सात साल के लड़के, मायापुरी की एक 13 साल की लड़की और कंजावाला के दो बच्चों का पता लगाया है।
सुनीता ने बताया कि गुमशुदा बच्चों के मामले की जांच के दौरान उन्होंने सुराग पाने के लिए माता-पिता/अभिभावकों से मुलाकात की। पूरी तरह से सीसीटीवी फुटेज और लीक से हटकर सोच पर भरोसा करने के कारण उन्हें बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में मदद मिली है। दिल्ली पुलिस ने सुनीता को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की सिफारिश की है।