चम्पारण सत्याग्रह पर केन्द्रित प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों का आज हुआ लोकार्पण
डॉ. लीना/ पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाना महत्वपूर्ण और जरूरी है। वे आज चम्पारण सत्याग्रह पर केन्द्रित प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और चर्चित गांधीवादी डा. रजी अहमद ने संयुक्त रूप से इन तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। चम्पारण आंदोलन पर केन्द्रित ये पुस्तक थे- अरविन्द मोहन की मि. एम के गांधी की चम्पारण डायरी, आशुतोष पार्थेश्वर की चम्पारण आंदोलनः 1917 और श्रीकांत की पीर मुहम्मद मुनीसः कलम का सत्याग्रही।
लोकार्पण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि चम्पारण सत्याग्रह के सौ साल पर हमने बहुत सारे कार्यक्रम किए। सही मायने में गांधी जी को ठीक से जानना जरूरी है, इसलिए हमने स्कूलों में गांधी कथावाचन शुरू कराया है जो चलता रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी इच्छा है कि गांधी जी के विचार को जनजन तक पहुंचाया जाए। बिहार में इसकी कोशिश भी हुई, बहुत सारी किताबें भी छपी और सिलसिला जारी है, लेकिन केवल किताब छापने से नहीं होगा लोगों तक इनहें पहुंचाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने चम्पारण सत्याग्रह के दौरान गांधी जी की तस्वीर ढूंढवाने की बहुत कोशिश की लेकिन नहीं मिली।
लोकार्पण समारोह में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह के सौ साल पर बिहार सरकार ने सफलतापूर्वक कई आयोजन करवाए, जिससे चम्पारण सत्याग्रह जीवंत हो गया। श्री मोदी ने गांधी जी के चम्पारण यात्रा की चर्चा की और कहा कि गांधीजी हमेशा प्रयोग करते थे और लिखने पर उनका जोर रहता था। गांधी जी ने किसानों से उनकी बोली में ही उनकी शिकायतें लिखवायीं थी।
पुस्तक लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष गांधीवादी डा. रजी अहमद ने कहा कि यह दुखद है कि चम्पारण की तस्वीर अब भी नहीं बदली है। गांधी जी ने जो सपना देखा था वो आज भी पूरा होना बाकी है। उन्होंने डा. लोहिया की चर्चा करते हुए कहा कि आजादी के बाद भी चम्पारण के किसानों की तकदीर नहीं बदली तो लोहिया ने पंडित नेहरू को पत्र लिखकर चम्पारण का दर्द बताया। उन्होंने कहा कि चम्पारण सत्त्याग्रह पर काम हो रहा है। मैं प्रकाशक को बधाई दे रहा हूं, लेकिन किसानों का जो दर्द है उसे देखते हुए यही कह सकता हूं कि इतिहास किसी को माफ नहीं करता।
पीर मुहम्मद मुनीसः कलम का सत्याग्रही के लेखक श्रीकांत ने कहा कि इस पुस्तक में पीर मुहम्मद की प्रतिनिधि रचनाओं और उनकी ओर से जमींदारों के खिलाफ उठाये गये आवाज को समेटा गया है।
आशुतोष पार्थेश्वर ने अपनी किताब चम्पारण आंदोलन 1917 के बारे में चर्चा करते हुए उस दौर की पत्रकारिता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जैसे चम्पारण आंदोलन की चर्चा राजकुमार शुक्ल के बिना पूरी नहीं हो सकती, वैसे ही अखबार प्रताप के बिना भी पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि प्रताप ही वो पत्र है जिसने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा कहा था।
इस अवसर पर प्रभात प्रकाशन के पीयूष कुमार ने अतिथियों को पुस्तकों का सेट देकर उनका स्वागत किया। जबकि राजेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।