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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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एक-दूजे के पूरक हैं साहित्य और मीडिया : प्रो. कुठियाला

छायाकार नवल जायसवाल की पुस्तक 'नवल-कमल' का विमोचन पत्रकारिता विश्वविद्यालय में

भोपाल/ आजादी के पूर्व ज्यादातर मीडिया रचनाकारों के हाथ में था और जो मीडिया आज की तरह व्यावसायिक था, वह रचनाकार विहीन था। साहित्य और मीडिया को अलग करके देखने की जरूरत नहीं है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने 'मीडिया और साहित्य के अंतरसम्बन्ध' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए। विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध छायाकार और लेखक नवल जायसवाल की पुस्तक 'नवल-कमल' का विमोचन भी किया गया। 

प्रो. कुठियाला ने कहा कि मीडिया और साहित्य के समायोजन को समझेंगे तो रचनात्मकता बढ़ेगी लेकिन जब हम इनमें अंतर ढूंढ़ेंगे तो दोनों में दूरी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने मनुष्य को अभिव्यक्ति की विशेष क्षमता दी है। बच्चा जन्म लेते ही रोता है, यह कहना ठीक नहीं है बल्कि वह जन्म लेते ही अभिव्यक्त करता है कि वह दुनिया में आ गया है। प्रो. कुठियाला ने वर्तमान समय में मीडिया की भूमिका क्या होनी चाहिए इस विषय में कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद स्थापित करना मीडिया का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए ताकि समाज में समरसता आए।

छायाकार एवं लेखक नवल जायसवाल ने कहा कि मीडिया और साहित्य में गहरा संबंध है। एक-दूसरे के बिना दोनों का काम चल नहीं सकता। इस मौके पर उन्होंने अपनी पुस्तक के विषय में विस्तार से चर्चा की। साहित्यकार निर्मला जोशी ने कहा कि पुस्तक 'नवल-कमल' में एक मित्र के लिए प्रेम और समर्पण की जो भावनाएं हैं, वे आज के दौर में प्रेरणा का स्त्रोत हैं। श्रीमती जोशी ने कहा कि सशक्त मीडिया ऐसी भूमि है जिस पर साहित्य का विशाल वटवृक्ष खड़ा हो सकता है। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार प्रभुदयाल मिश्र ने कहा कि रिश्तों का अनूठा उदाहरण यह पुस्तक है। उन्होंने मीडिया और साहित्य के अंतरसम्बन्ध में 25 प्रश्न भी प्रस्तुत किए।

इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार मूलाराम जोशी ने कहा कि साहित्य का उद्देश्य स-हित होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आज का मीडिया स-हित का काम कर रहा है? टेलीविजन पत्रकारिता तो सिर्फ टीआरपी को ध्यान में रखकर की जा रही है। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के प्रोडक्शन निदेशक आशीष जोशी ने किया। इस मौके पर शहर के प्रबुद्ध लोग मौजूद रहे।

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सम्पादक

डॉ. लीना